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Paper Title

Bharatiya Parampara me Saundrya Ka Darshansastr : Ek Vishelashan

Article Type

Original Article

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Published On

September, 2013

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Abstract

पदार्थ व चेतना का ऎसा कोइ भी पक्ष् नहीं है जिसे अतीत् के भारतीय् दार्शनिकों, मनीषीयों व योगियों ने न तो छुआ है हो लेकिन भूतकाल में पश्चिम ने भारतीय् सभ्यता की ज्यादातर इसके सौन्दर्यात्मक पक्ष की विद्वेषपूर्ण व् सहानुभूतिरहित आलोचना की है तथा उस आलोचना ने इसकी ललित कलाओं, स्थापत्य, मूर्तिकला व चित्रकला की घर्णापूर्ण या तीव्र निंदा का रुप् ग्रहण किया है।

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