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Paper Title

नेपाली: प्रकृति चित्रण की संपूर्णता का कवि

Article Type

Research Article

Issue

Volume : 5 | Issue : 4 | Page No : 78-81

Published On

July, 2019

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Abstract

प्रकृति का मानव-जीवन में अमूल्य योग रहा है - सृष्टि के आरम्भ से ही | प्रकृति जीवन और साहित्य का प्रमुख उपादान रही है | साहित्य के क्षेत्र में प्रकृति-चित्रण का विशेष महत्त्व है | विश्व की प्रत्येक भाषा - साहित्य में इसकी विस्तृत परम्परा मिलती है | प्रकृति-चित्रण की श्रेष्ठतम अभिव्यक्ति संस्कृत - साहित्य में हुई है और महाकवि कालिदास इसके श्रेष्ठतम प्रस्तोता के रूप में याद किये जाते हैं । उनके काव्य में प्रकृति अपनी सहज नैसर्गिक सुषमा से ओत-प्रोत्, अत्यंत कमनीय रूप में हमारे समक्ष उपस्थित होती है | खड़ीबोली हिन्दी-साहित्य में भी ‘आदिकाल' से 'आधुनिककाल' तक प्रकृति-चित्रण की विस्तृत परम्परा के दिग्दर्शन होते हैं | हिन्दी के विकास के साथ ही हिन्दी साहित्य का प्रकृति-चित्रण भी उतरोत्तर सूक्ष्म, संश्लिष्ट और परिष्कृत होता गया है । इस दृष्टि से 'छायावाद' हिन्दी - साहित्य सबसे महत्त्वपूर्ण काल माना जाता है और 'प्रकृति के सुकुमार कवि' पंत इसके सर्वश्रेष्ठ कवि के रूप में हमारे समक्ष उपस्थित होते हैं | हिन्दी साहित्य में छायावाद पहला काल है जिसमें प्रकृति इतनी सहज,मनोरम, कमनीय, माधुर्ययुक्त और नैसर्गिक आकर्षण- संपूरित होकर साहित्यिक मंच पर उतरती है तथा अपनी स्वच्छंदता और प्रकृत् सौन्दर्य से मर्मज्ञों को अभिभूत कर देती है |

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