Abstract
समय की गति प्रवाहमान होती है। समय की धारा का आवागमन निरन्तर चलता रहता है। जिससे कई महान आत्माएं पैदा होती हैं, कई समय रूपी काल के प्रवाह में लुप्त हो जाती है। इसी गतिशील समय की धारा में अपने जीवन व कार्य से अपनी अमिट छाप अंकित करने वालों में वरिष्ठतम नाम आता है अमरकान्त का । जिन्होने अपने अथक प्रयासों से हिन्दी साहित्य लेखन परम्परा में श्री वृद्धि करके हिन्दी साहित्य विशेषतः गद्य साहित्य को एक नई दिशा दशा प्रदान की है । स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद हिन्दी साहित्यकारों में प्रेमचन्द के यथार्थवादी दृष्टिकोण को जीवित रखने का श्रेय अमरकान्त को जाता है । साहित्य के क्षेत्र में अमरकान्त के अतुलनीय योगदान के लिए हिन्दी साहित्य हमेशा-हमेशा के लिए उनका ऋणी रहेगा।
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