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मूक आवाज़ (Mook Awaaz) (Mook Awaaz)

Publisher :

Pondicherry University

Scopus Profile
Peer reviewed only
Scopus Profile
Open Access
  • Hindi Language and Linguistics
  • Hindi Letters
Issue Frequency :

Monthly

p-ISSN :

2320-835X

Est. Year :

2013

Mobile :

12345678910

DOI :

YES

Country :

India

Language :

Hindi

APC :

YES

Impact Factor Assignee :

Google Scholar

Email :

mookaawazhindi@gmail.com, pramod.du.raj@gmail.com

Journal Descriptions

‘मूक आवाज़’ का आरंभ हम हिंदी भाषा और साहित्य में शोध जॉर्नल के रूप में करने के आकांक्षी हैं। इस जॉर्नल के आरंभ के मूल में हिंदी शोध के स्तर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान और मान्यता दिलाने का लक्ष्य है। यह पत्रिका निशुल्क है, जो निश्चय ही शोघार्थियों और अध्यापकों के लिए उपादेय होगी। हिंदी की अकादमिक दुनिया में इस प्रकार के जॉर्नल की व्यावहारिक आवश्यकता भी है। प्रायः यह देखा गया है कि हिंदी के क्षेत्र में शोध जॉर्नल लगभग नहीं के बराबर हैं और जो एक-दो हैं भी तो उनके प्रबंधकों ने जॉर्नल प्रकाशन को धंधा बना लिया है। जब से ’यूजीसी’ ने नियुक्तियों और पदोन्नति में ‘ए.पी.आई.’ स्कोर व्यवस्था आरंभ की है, तब से तो यह धंधा दिन दूना और रात चौगुना फल-फूल रहा है। हिंदी भाषा और साहित्य के अध्ययन और शोध से जुड़े लोगों के लिए अपने शोध कार्य को अकादमिक जगत के सामने लाने का एक खुला अवसर इस जॉर्नल के माध्यम से प्राप्त हो सकता है। जहां हिंदी पत्रिकाओं और जॉर्नल प्रकाशन में बनिया प्रवृत्ति देखने को मिलती है, वहीं दूसरी ओर हिंदी पट्टी की जातिवादी-पितृसत्तावादी मानसिकता यहां भी परिलक्षित होती है। दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और स्त्री विमर्श जैसे विषयों से संबद्ध शोध पर पहले तो ब्राह्मणवादी मानसिकता के आचार्यगण अनुमति ही नहीं देते। अगर जैसे-तैसे शोधार्थी इन विषयों करने का जोखिम उठा भी लेता है, तो फिर उसके प्रकाशन का तो वह सपना ही देखता रह जाता है। प्रस्तुत जॉर्नल शोध के क्षेत्र में उपेक्षित-शोषित शोघार्थियों और शोध विषयों के साथ न्याय करने का आकांक्षी है। इसका लक्ष्य न केवल इन शोघार्थियों और विषयों को अकादमिक जगत के सामने लाना है अपितु हिंदी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में शोध को आलोचना से इतर उसका स्वायत्त अधिकार दिलाना भी है। शोध पत्रों में मात्र संख्यात्मक स्तर पर ही नहीं अपितु गुणवत्ता के पैमाने पर भी अभिवृद्धि अपेक्षित है। प्रस्तुत शोध जॉर्नल का शार्षक - ‘मूक आवाज़’ इसके उद्देष्य को पूर्णतः चरितार्थ करता है। इसमें हाशिये की उन आवाजों को प्रमुखता से जगह दी जायेगी जिन्हें हिंदी साहित्य की मुख्य धारा में जगह ही नहीं दी जाती। ये आवाज़ें अभी तक मूक ही थीं क्योंकि इन्हें पढ़ने-लिखने के नागरिक अधिकार से भी वंचित रखा गया था। यह जॉर्नल इन आवाजों को प्रकाशन के अवसर की समानता प्रदान करने के प्रति दृद्ध संकल्पबद्ध है, क्योंकि अभिक्ति की स्वतंत्रता देने के साथ-साथ अभिव्यक्ति का मौका उपलब्ध कराना भी जरूरी है। ‘मूक आवाज़’ शीर्षक इस शोध जॉर्नल में इन स्तम्भों को अभी रखा गया है - आदिवासी विमर्श, दलित विमर्श, स्त्री विमर्श, अल्पसंख्यक विमर्श, किसान-मज़दूर गाथा, पुस्तक समीक्षा, साक्षात्कार, समसामयिकी, नाटक और सिनेमा, तुलनात्मक साहित्य, हिंदी भाषा और भाषा विज्ञान, चिट्ठी-पत्री और साहित्य समाचार। आदिवासी-दलित-स्त्री विमर्श के अंतर्गत लिखित शिष्ट साहित्य के साथ-साथ लोक साहित्य में परिगणित अंतर्गत किये जाने वाले शोध को भी स्थान दिया गया है। मुसलिम और ईसाई आदि अल्पसंख्यकों को केंद्र में रखकर किये गये साहित्यिक शोघ के लिए भी एक स्तंम्भ आरक्षित है। वर्ण के साथ वर्ग स्तर पर भी साहित्य-संस्कृति का विश्लेषण अपेक्षित है अतः सर्वहारा को लक्ष्य लेकर चलने वाला साहित्य और शोध भी उपेक्षित नहीं किया जा सकता था। साक्षात्कार, साहित्यिक समाचार और पुस्तक वार्ता सीधे-सीधे शोध के अंतर्गत नहीं आते किंतु इनसे शोध कार्य में सहायता मिलती है अतः इनकी भी उपेक्षा संभव न थी। आम जनता पर सर्वाधिक प्रभाव डालने वाले कला माध्यमों के रूप में नाटकों और फिल्मों से संबंधित शोध को भी सम्मान दिया गया है। एक नये किंतु महत्वपूर्ण विषय के रूप में तुलनात्मक साहित्य का अध्ययन उभरा है अतः यह भी एक स्तंम्भ बन पड़ा है। भाषाविज्ञान के लिए भी एक स्वतंत्र स्तंम्भ रखा गया है। इस प्रकार इस शोध जॉर्नल का दायरा काफी व्यापक रखा गया है। किंतु गुणवत्ता से कहीं भी समझौता नहीं किया जायेगा। इन दोनो बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए जॉर्नल में एक संपादकीय समिति रखी गयी है। इस समिति के सदस्यों का चयन इस प्रकार से किया गया है कि सभी विषयों और क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व संभव हो सके। शोध पत्रों की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए ‘पीयर रिव्यू’ की व्यवस्था भी अपनाई गयी है। अभी यह शोध जॉर्नल अंतर्जाल पर ऑन लाइन ही उपलब्ध रहेगा लेकिन जॉर्नल की आर्थिक स्थिति सुदृद्ध हो जाने के पश्चात् अपने अंकों की सफलता की समीक्षा के आधार पर इसे प्रिंट रूप में लाने की भी योजना है।


मूक आवाज़ (Mook Awaaz) (Mook Awaaz) is :

International, Peer-Reviewed, Open Access, Refereed, Hindi Language and Linguistics, Hindi Letters , Print, Monthly Journal

UGC Approved, ISSN Approved: P-ISSN - 2320-835X, E-ISSN , Established in - 2013, Impact Factor

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Not indexed in Scopus, WoS, DOAJ, PubMed, UGC CARE

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